अनियमित माहवारी के कारण: जानें मुख्य वजहें और समाधान

रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप की ज्यादातर महिलाओं की नॉर्मल मेंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 38 दिनों की होती है और यह 8 दिन या इससे कम अवधि तक चलती है. इस दौरान करीब 35 मिली (20 से 80 मिली) ब्लीडिंग होती है. सबसे छोटी से सबसे बड़ी अवधि की मेंस्ट्रुअल साइकिल में 7 से 9 दिनों तक अंतर होता है. लेकिन 14% से 25%  महिलाओं की साइकिल अनियमित होती है, यानि उनका मेंस्ट्रुअल साइकिल या तो कम अवधि का होता है या फिर नॉर्मल से कुछ अधिक समय तक चलता है. यह भी हो सकता है उनका ब्लीडिंग नॉर्मल से ज्यादा या कम हो, या यह भी होता है कि कई बार उन्हें एब्डॉमिनल क्रॅम्प्स (पेट में मरोड़ और तेज दर्द) भी सहन करने पड़ते हैं.

नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नेहा गुप्ता बताती हैं कि एनोव्यूलेट्री साइकिल प्रायः पीरियड (मासिक चक्र) शुरू होने (मेनार्की) के 2 साल तक रहती है और मेनोपॉज के नजदीक पहुंच रही महिलाओं में देखी जाती है. पीरियड अनियमित होने के पीछे कई कारण हो सकते हैंः ते
हैं जो गर्भाशय की मांसपेशियों से बनते हैं. ये एक या अधिक और छोटे या बड़े हो सकते हैं. अक्सर ज्यादा ब्लीडिंग और अनियमित मासिक चक्र का कारण सब म्युकस फाइब्रॉयड्स या बड़े इंट्राम्युरल फाइब्रॉयड्स ही होते हैं.
* एंडोमीट्रियल पॉलिप
* हार्मोनल असामान्यताएंः थाइरॉयड या प्रोलैक्टिन हार्मोन
* इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से अनियमित पीरियड और कम बार ओव्यूलेशन की वजह से भी साइकिल में देरी हो सकती है और पीरियड के दौरान ब्लीडिंग भी ज्यादा हो सकती है।
* कम कैलोरी (भूखा रहना) की वजह से या ज्यादा कैलोरी के सेवन के कारण भी पीरियड पर असर पड़ता है.
* बेहद कम या अत्यधिक वजन भी एक कारण हो सकता है.
* एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन, स्टेरॉयड हार्मोन, आई-पिल, अनियमित रूप से गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के कारण और ब्लड थिनर की वजह से भी ऐसा हो सकता है.
* गंभीर बीमारियां और बीमारी से उबरने (रिकवरी) के कारण भी कई बार शरीर अस्थायी रूप से पीरियड को बंद कर सकता है.
* इंफेक्शनः ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी), पेल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज
* गर्भपात: कई बार गर्भाशय की भीतरी सतह (एंडोमीट्रियम) को नुकसान पहुंचने या गर्भपात के बाद इंफेक्शन के कारण.
* सर्विक्स (गर्भ ग्रीवा) पर किसी भी प्रकार की ग्रोथ के कारण पीरियड या सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग हो सकती है. गर्भाशय के कैंसर के कारण गर्भाश्य की भीतरी दीवार या एंडोमीट्रियम परत मोटी हो सकती है और यह एब्नॉर्मल ब्लीडिंग का कारण बन सकता है.

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button